उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिलों की अपनी एक खास पहचान है. कोई पीतल के सामानों के लिए मशहूर है तो कोई तालों के लिए. वहीं स्वाद की बात करें तो वाराणसी: कचौड़ी- लस्सी, खुर्जा: खुरजनी और सहारनपुर:मलाईवाले घेवर के लिए प्रसिद्ध है.
ऐसा ही एक जिला है फर्रुखाबाद. जिला का कमालगंज यहां की मशहूर डोडा बर्फी के लिए पूरे क्षेत्र में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में मशहूर है. हालांकि बरसात के मौसम में इस मिठाई का मांग बढ़ जाती है लेकिन स्वाद के तलबगार पूरे सालभर इसकी खरीदारी करते हैं.
फर्रुखाबाद के कमालगंज की मशहूर डोडा बर्फी हर मौसम में ग्राहकों का दिल जीत लेती है. मेवे और मावे से भरपूर यह खास मिठाई न केवल लाजवाब स्वाद देती है, बल्कि शरीर को भी ताकत पहुंचाती है.
दो पीढ़ी पहले कमालगंज के मुख्य मार्ग पर रेलवे तिराहे के पास पप्पू मिष्ठान भंडार के नाम से शुरू हुई यह दुकान डोडा बर्फी का मशहूर ठिकाना है. 400 रुपये किलो बिकने वाली इस बर्फी के लिए सुबह से देर रात तक ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है. बारिश के दिनों में तो इसका क्रेज और बढ़ जाता है.
दुकान के संचालक बताते हैं कि उनके पिता ने इस दुकान की शुरुआत की थी और अब वे उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. डोडा बर्फी की खासियत यह है कि इसमें मेवों की भरपूर मात्रा का इस्तेमाल होता है, जिससे यह सर्दियों और बरसात—दोनों मौसम में ग्राहकों को बेहद पसंद आती है.
इस बर्फी को बनाने में गोंद, खरबूजे की गिरी, इलायची, काजू, बादाम, नारियल की गरी और चिरौंजी का इस्तेमाल किया जाता है. सबसे पहले शुद्ध दूध से मावा तैयार किया जाता है, फिर मेवों को घी में भूनकर इसमें मिलाया जाता है. उसके बाद मावा और चीनी को धीमी आंच पर पकाया जाता है, जिससे मिठाई का स्वाद और खुशबू दोनों बढ़ जाते हैं.
जब मिश्रण पूरी तरह तैयार हो जाता है तो इसे चौकोर ट्रे में डालकर समतल किया जाता है. सूखने के बाद इसे टुकड़ों में काटा जाता है और ऊपर से काजू व इलायची लगाकर सजाया जाता है. इसका हर निवाला मुंह में जाते ही घुल जाता है और स्वाद ऐसा कि खाने वाले बार-बार लौटकर आते हैं.
कमालगंज की यह डोडा बर्फी अब सिर्फ एक मिठाई नहीं, बल्कि इलाके की पहचान बन चुकी है. बरसात के सुहाने मौसम में अगर आप फर्रुखाबाद जाएं, तो इस मिठाई का स्वाद चखना न भूलें—क्योंकि इसके दीवाने बनने में बस एक निवाला ही काफी है.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.