रामकृष्ण परमहंस ने क्यों कहा था- 'जितने मत, उतने पथ', ये शिक्षाएं आज भी क्यों हैं इतनी प्रासंगिक?
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रामकृष्ण परमहंस ने क्यों कहा था- 'जितने मत, उतने पथ', ये शिक्षाएं आज भी क्यों हैं इतनी प्रासंगिक?

Swami Vivekananda guru: रामकृष्ण परमहंस भारत के महान संत, मां काली के भक्त और स्वामी विवेकानंद के गुरु थे. उनकी शिक्षाएं धार्मिक एकता, प्रेम और सादगी का संदेश देती हैं. उनकी विरासत आज भी रामकृष्ण मिशन के जरिए जीवित है.

रामकृष्ण परमहंस ने क्यों कहा था- 'जितने मत, उतने पथ', ये शिक्षाएं आज भी क्यों हैं इतनी प्रासंगिक?

Ramakrishna Paramhansa: भारत के महान संत, विचारक और आध्यात्मिक गुरु रामकृष्ण परमहंस का जीवन भक्ति, सादगी और मानवता का प्रतीक है. स्वामी विवेकानंद जैसे युगपुरुष के गुरु रहे रामकृष्ण परमहंस ने अपने विचारों और जीवन शैली से न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में आध्यात्मिक चेतना की अलख जगाई. उनकी शिक्षाएं आज भी हर युग में प्रासंगिक हैं और लोगों को धर्म, प्रेम और एकता की राह दिखाती हैं.

शुरुआती जीवन और भक्ति मार्ग

रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 को पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के कामारपुकुर गांव में एक साधारण ब्राह्मण परिवार में गदाधर चटर्जी के रूप में हुआ. बचपन से ही उनकी रुचि आध्यात्मिकता में थी. मां काली के प्रति गहरी श्रद्धा के चलते उन्होंने दक्षिणेश्वर काली मंदिर में पुजारी के रूप में सेवा की और अपना अधिकांश जीवन यहीं बिताया. भक्ति में इतनी गहराई थी कि वे अक्सर समाधि की अवस्था में चले जाते थे. उनका मानना था कि सभी धर्म एक ही परम सत्य की ओर ले जाते हैं, चाहे रास्ते अलग-अलग हों.

शिक्षाएं और प्रभाव

रामकृष्ण न केवल एक भक्त थे बल्कि सरल और गहन शिक्षाएं देने वाले गुरु भी थे. उन्होंने धर्म के प्रति कट्टरता के बजाय सहिष्णुता और समरसता पर जोर दिया. उनके शिष्य स्वामी विवेकानंद ने उनकी शिक्षाओं को दुनिया भर में पहुंचाया और 1897 में ‘रामकृष्ण मिशन’ की स्थापना की. 1893 में शिकागो में हुए विश्व धर्म संसद में विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण ने रामकृष्ण के विचारों को वैश्विक मंच दिलाया. रामकृष्ण का प्रसिद्ध कथन, “जितने मत, उतने पथ” आज भी धार्मिक एकता का संदेश देता है.

विरासत और आज का महत्व

16 अगस्त 1886 को गले के कैंसर से कोलकाता के काशीपुर में उनका निधन हो गया. लेकिन उनकी शिक्षाएं और प्रेरणा उनके शिष्यों के जरिए जीवित रहीं. रामकृष्ण मिशन और मठ आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में सक्रिय हैं. उनकी जीवनी और उपदेश ‘श्रीरामकृष्ण वचनामृत’ और ‘रामकृष्ण कथामृत’ जैसे ग्रंथों में दर्ज हैं जो आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए प्रमाणिक स्रोत हैं. रामकृष्ण परमहंस का जीवन आज भी एक आध्यात्मिक दीपक की तरह है जो भक्ति, सादगी और प्रेम से लोगों के मन को रोशन करता है.

 

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Shivam Tiwari

वायरल न्यूज़ का फैक्ट चेक कर पाठकों तक सही जानकारी पहुंचाते हैं. अजब-गजब से लेकर हेल्थ, लाइफस्टाइल की दुनिया में गहरी दिलचस्पी. ABP न्यूज से यात्रा शुरू की. एक साल से पत्रकारिता में सक्रिय....और पढ़ें

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